तिरुवनंतपुरम: केरल के वरकला में 15 वर्षीय एक लड़की की ‘स्क्रब टाइफस’ से मौत हो गई. इस बीमारी को स्थानीय भाषा में ‘‘चेल्लू पनी’’ कहते हैं. पंचायत पदाधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि मृतक लड़की का नाम अश्वथी है, जो 10वीं कक्षा की परीक्षा के नतीजे का इंतजार कर रही थी. उन्होंने बताया कि मृतका यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर चेरुन्नीयूर की रहने वाली थी और कल शाम उसकी अस्पताल में मौत हो गई.
लड़की की मौत के बाद केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने विशेष चिकित्सा टीम को मृतका के गांव और उस अस्पताल में जाने का निर्देश दिया जहां उसकी मौत हुई थी.
मंत्री ने यहां जारी बयान में कहा कि चेरुन्नीयूर के ग्राम अधिकारी पहले ही उस स्थान का दौरा कर वहां इस संबंध में प्राथमिक जानकारी एकत्र कर चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जिला चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में गठित विशेष टीम चेरुन्नीयूर और परीपल्ली चिकित्सा महाविद्यालय का दौरा करेगी.’’ जॉर्ज ने बताया कि इलाके की निगरानी के लिए कदम उठाए जाएंगे.
क्या है ‘स्क्रब टाइफस’?
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार ‘स्क्रब टाइफस’ बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया (Orientia Tsutsugamushi) के कारण होती है. इंसानों में यह बीमारी संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है. इसे ‘बुश टाइफस’ के नाम से भी जाना जाता है. यह एक वेक्टर जनित बीमारी है. यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है. यदि समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है.
इस बीमारी के लक्षण
अगर किसी को संक्रमित कीट काटता है तो दस दिन के भीतर इसके लक्षण दिखने लगते हैं.
बुखार और ठंड लगने के साथ सिरदर्द, शरीर और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्या.
कीट ने जहां काटा है वहां स्किन का रंग गहरा हो जाता है और वहां स्किन पर पपड़ी पड़ सकती है.
स्किन पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं.
रोग की गंभीर स्थिति में भ्रम, कोमा, अंगों के खराब होने और रक्तस्राव जैसे परेशानी हो सकती है.